दो दिनों बाद बारिश रुकी थी. साफ़ मौसम में हाँलीडे रिसोर्ट के बाहर युवा पीढ़ी कुछ रंग जमाने के मूड में थी। पिछले दो दिनों की लगातार बारिश ने सबको अपने कमरों में कैद रहने को बाध्य कर दिया था। आज शाम आसमान खुलते ही लड़कों ने सूखी लकड़ियाँ जमा करनी शुरू कर दी थीं। आज रात जम कर कैम्प- फ़ायर चलेगा। उनके उत्साह से साथ आए प्रौढ़ भी उत्साहित हो चले थे। पहाड़ी मौसम का क्या ठिकाना, जब आकाश खुले मौज मना लो वर्ना फिर वही डिप्रेसिंग वेदर उन पर हावी हो जाएगा।
कैम्प- फ़ायर की तैयारियाँ पूरी हो चुकी थीं। स्मार्ट युवा राँबिन ने जोरों से आवाज़ लगाई थी,
”हे, आँल आँफ़ यू कम आउट। लेट्स हैव म्यूजिक एण्ड डांस।“
रोहन ने म्यूजिक सिस्टम चालू कर दिया था। लड़के-लड़कियों और बच्चों ने संगीत पर झूम-झूमकर नाचना-गाना शुरू कर दिया । अचानक वो उदास शाम बहुत रंगीन हो उठी । बारिश से धुली प्रकृति बेहद खूबसूरत लगने लगी थी।
राँबिन जैसे सबका चहेता हीरो बन गया था। राँबिन ने जब जलती आग को पार किया तो बुजुर्गो ने डर से साँस रोक ली और युवा पीढ़ी ने जोरों से तालियाँ बजा, उसका अभिनंदन किया था। राँबिन को डांस करते देखना, सचमुच एक अनुभव था। आकर्षक व्यक्तित्व के साथ उसकी नृत्य मुद्राओं ने सबको विस्मय-विमुग्ध कर दिया था।
”अगर लड़के को फ़िल्म वाले देख लें तो तुरन्त ब्रेक मिल जाए। इसे तो फ़िल्म्स में ट्राई करना चाहिए।“ मिस्टर आजमानी ने राय दी थी।
”आप ठीक कह रहे हैं, मुझे तो डर है कहीं ये हमारी लड़कियों का मन न मोह ले। मुश्किल में पड़ जाएँगें सारे पापा लोग..........।“ रामदास जी की बात पर सब जोरों से हॅंस पड़े थे।
युवा पीढ़ी ने सचमुच रंग जमा लिया था।
”हे लिसिन एवरीबडी! डू यू नो हाऊ टु प्ले पिंक पाजामा?“
”नही.....ई ........“ समवेत स्वर गूंजा था।
राँबिन की पुकार पर सब गोल घेरे में सिमट आये थे। तभी राँबिन की दृष्टि कोने में सिमटी अकेली खडी निकिता पर पड़ी थी। सबके उस सर्कल में चले जाने पर अकेली छूट गई निकिता जैसे घबरा-सी रही थी। तेजी से निकिता के पास पहुँचे राँबिन ने उसका हाथ पकड़, घेरे में खींचना चाहा था। निकिता के प्रतिरोध पर राँबिन हॅंस पड़ा था-
”कम आँन बेबी, लेट्स एन्ज्वाँय। अपने सारे ग़म भूल जाओ...............“
निकिता को सर्कल में शामिल कर राँबिन ने गेम समझाना शुरू किया था-
”हाँ तो ये गेम ऐसे है, आपको अपने नेक्स्ट साथी के कान में किसी फ़िल्म का नाम देना है, वह व्यक्ति अपने अगले साथी को किसी दूसरी फ़िल्म का नाम देगा। फिल्म के नाम के साथ ‘इन पिंक पाजामा’ जोड़ना है. बस ऐसे ही करते जाना है, समझ गए?“
”यस....।“ उत्साहपूर्ण स्वर उभरे थे।
”एक-दूसरे के कान में पिक्चर का नाम फुसफुसाते सर्कल पूरा हो गया था।
”दिल देके देखो इन पिंक पाजामा.......... हॅंसी का दौर पड़ गया था।
”हम आपके हैं कौन, इन पिंक पाजामा...........“
अजीब समाँ बॅंध गया था, कुछ अजीबोगरीब नामों के साथ जुड़कर पिंक पाजामा बेहद सेक्सी बन गया था। निकिता की बारी आते ही मौन छा गया था। राँबिन उसके पास आया -
”हाय निकिता बेबी, बोलती क्यों नहीं?“ निकिता जैसे और सिमट गई थी।
”हे! व्हाँट इज राँग? तुम खेल समझ गई न?“
निकिता ने ‘हाँ’ में सिर हिलाया था।
”फिर बोलती क्यों नहीं?“
निकिता फिर चुप रही।
निकिता के मौन पर सबको नाराज़गी थी। मम्मी की तो नाक ही कट गई। इस लड़की की वजह से उन्हें कितनी शर्मिन्दगी उठानी पड़ती है! निकिता के कंधे जोर से दबा उन्होंने अपना गुस्सा उतारा था-
”यू सिली गर्ल, अगर दिमाग नहीं है तो गेम मे शामिल क्यों हुई? अब बोल भी दे..........“
फुसफसाहट में कहे गए मां के शब्द निकिता को आतंकित कर गए, घर पर रोज उनके निर्देश-डाँट सुनती निकिता, अब क्या चुप रह सकती थी।
”सैक्सी गर्ल इन पिंक पाजामा“
हॅंसी के फौव्वारे छूट गए थे। सबकी दृष्टि निकिता की पिंक सलवार पर पड़ गई थी। व्हाँट ए कोइंसीडेंस! डनकी हॅंसी पर हथेलियों में मुँह छिपा, निकिता अपने काँटेज की ओर दौड़ गई थी। दूर तक लोगों की हॅंसी उसका पीछा करती रही थी।
कमरे के पलंग पर औंधी पड़ी निकिता रोती जा रही थी, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई थी,
”मे आई कम इन..........“
निकिता घबरा उठी थी। जल्दी से आँसू पोंछ दरवाजा खोला था, सामने राँबिन खड़ा था।
”हे बेबी! व्हाँट इस दिस? आँसुओं में डूबी राजकुमारी, तुम्हें क्या तकलीफ़ है? क्या हुआ?“ राँबिन सचमुच कंसर्न दिख रहा था।
राँबिन की सहानुभूति पर निकिता के आँसू फिर बह चले थे। आश्चर्य से राँबिन ने उसकी ठोढ़ी उठा कर फिर पूछा था,
”कम आँन! क्या हुआ, निककी बेबी?“
”कुछ नहीं..........“
”फिर रोती क्यों हो?“
”हमें ये सब गंदी बातें अच्छी नहीं लगतीं।“
राँबिन ठठाकर हॅंस पड़ा था।
”ओह गाँड! तुम खेल को सीरियसली लेती हो?“
”खेल में क्या ऐसी बातें कही जाती हैं, हमारे बारे में सब क्या सोचते होंगे?“
”पागल......... सिम्पली मैड। अरे ये खेल है, कोई इन बातों को सीरियसली नहीं लेता। सच तो ये हैं तुम्हारी वहाँ से एबसेंस का भी किसी ने नोटिस नहीं लिया।“
”फिर तुम यहाँ कैसे आए?“
”क्योंकि मैंने तुम्हारी एबसेंस फील की थी, निक्की बेबी! तुम सबसे अलग लड़की जो हो.“ अपनी बात खत्म करते राँबिन ने प्यार से निक्की के माथे पर झूल आई लट संवार दी । निकिता सिहर उठी ।
”आर यू फ़ीलिंग कोल्ड?........“
निकिता ने नहीं में सिर हिलाया था।
”अच्छा तो आज से हम दोनों दोस्त हुए, बोलो मंजूर है?“ राँबिन ने अपनी हथेली खोल आगे बढ़ा दी थी। निकिता उस खुले हाथ पर अपना हाथ देती हिचक रही थी। राँबिन ने उसका हाथ पकड़, अपनी हथेली पर जोर से दबाया था।
”अब हम दोस्त हैं, नाउ नो मोर क्राइंग। चलो एक कप काँफ़ी हो जाए।“
”हम काँफ़ी नहीं पीते।“
”फिर क्या दूध पीती हो?“ राँबिन शरारत में मुस्करा रहा था।
”हाँ।“ कहते निकिता को शर्म आई थी।
”चलो आज मैं काँफ़ी बनाता हूँ, टेस्ट करके देखोगी तो दूसरे के हाथ की काँफ़ी कभी नही पियोगी।“
निकिता असमंजस में पड़ गई थी। राँबिन उसको लगभग खींचता-सा अपनी काँटेज में ले गया था। निकिता को एक कुर्सी पर बैठा उसने दो कप काँफ़ी तैयार की थी। विस्मित निकिता उसे देखती रह गई थी। काँफ़ी का मग निकिता को थमा, उसने म्यूजिक सिस्टम आँन किया था। पहला-पहला प्यार है........ निकिता रोमांचित हो उठी थी। जैसे वह सपनों में जाग रही थी।
”तुम्हें डांस आता है?“
”नहीं.........।“
”सीखोगी?“
”नहीं, हमें शर्म आती है.......“
”सिली गर्ल! किसी भी आर्ट को सीखने में शर्म क्यों? मैं डांस करता अच्छा नहीं लगता?“
निकिता चुप रह गई थी। रुबिन को डांस करते देख सब मुग्ध रह जाते थे. जिस दिन उसने जलती आग को डांस करते हुए पार किया था, सब विस्मय विमुग्ध रह गए थे.
“अच्छे लगते हो.”संकोच से निकिता कह सकी.
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