Thursday 23 April 2020

फूलों पर कोलाज Hindi Story

0


कार से राiइट टर्न लेने के थोड़ी देर बाद अनु ने अपने जिस घर पर कार रोकने को कहा, उस घर को देखता अरमान चौंक गया. दूर से ही घर के सामने रंग-बिरंगे फूलों का मेला सजा  हुआ था. हर रंग हर किस्म के फूल एक-दूसरे से होड़ लेते हवा के साथ झूम रहे थे. अरमान ने कार रोक दी और पूछा-
“आप इस फूलों की वादी में रहती हैं?”आरमान के चहरे पर मुग्ध भाव था..
शनीवार को अरमान अपनी अम्मी के साथ आया था. अरमान की अम्मी शाहिदा बेगम एक सुलझी हुई पढी-लिखी महिला थीं. शायरी से उनका बहुत लगाव था. जब तक उनके शौहर उनके साथ थे वह मुशायरों में भी अपनी नज्में सुनाती थीं. घर के भीतर आने के पहले शाहिदा बेगम फूलों के पास रुक गईं. उनकी मुग्ध दृष्टि फूलों पर निबद्ध थी. अनु उन्हें फूलों के नाम और उनकी क्वालिटी बता रही थी.
उनके जाने के बाद अरमान ने कार स्टार्ट की थी. कुछ दिन पहले क्लास के बाहर भी उसने कुछ ऐसे ही रिमार्क्स सुने थे, उसके दोस्तों ने भी कहा था, उसे ऐतिहात बरतनी चाहिए. उन तीनों का इशारा उसके और अनु के साथ की तरफ भी था. अरमान की ज़िंदगी में अब अनु के लिए एक ख़ास जगह बन चुकी थी, उसके बिना उसे अपना वजूद अधूरा लगता था. वक्त आ गया है, उसे अपने और अनु के रिश्ते के बारे में संजीदगी से सोचना चाहिए. कुछ देर में ही उसने सोच लिया, वह  इन धमकियों से डरेगा नहीं.
दूसरी सुबह अरमान रोज़ की तरह से अनु को पिक- अप करने पहुंचा था. अनु से किसी भी बात का ज़िक्र न करने की उसने सोच रखी थी.अरमान की आँखों में अनु के लिए प्यार साफ़ झलकता था और अनु अपनी आँखें शायद इस डर से झुकाए रहती कि कहीं उसकी आंखों में अरमान अपने लिए उसकी चाहत न पढ़ ले. अरमान ने अपनी थीसिस सबमिट कर दी और अनु के फाइनल एक्जाम शुरू होने वाले थे. अचानक एक दिन अरमान ने अनु के हाथ पर अपना हाथ धर कर कहा-
“सच कहो, क्या मुझसे मिले बिना रह पाओगी?तुमसे प्यार का सिलसिला तुम्हारी अनोखी बातों से बढ़ता ही गया, शाख पर खिले फूलों को तोड़ने का दर्द, ज़मीन पर झरे फूलों की पंखुरियों से कोलाज़ की कल्पना, ऐसे नाज़ुक दिल वाली लड़की तो बस अनु ही हो सकती है. ऎसी प्यारी लड़की के पीछे कौन पागल न हो जाए.”अनु की आँखों  में सीधे देखते अरमान ने कहा..
अपने कमरे में आकर अरमान सोच में पड़ गया. कुछ दिनों से लड़के उसे देख कर उलटे-सीधे रिमार्क्स दे रहे हैं. ग्रुप बना कर अरमान की और इशारे कर के बातें करते हैं. काफिर की लौंडिया से इश्क फरमा रहा है, ये मुल्क का गद्दार हमारे मज़हब का दुश्मन है, जैसी बातें उसे कुछ हमदर्द लोगों ने इशारों में बताने की कोशिश की थी, पर अरमान उन बातों से उदासीन ही बना रहा.
अरमान सन्नाटे में आ गया. क्या करे कुछ समझ में नहीं आ रहा था. अनु को सावधान करना ठीक नहीं होगा, वह डर जाएगी. हाँ उसकी हिफाज़त के ख्याल से उसे  घर के भीतर तक तो वह छोड़ कर आ ही सकता है. इतना ही कहना काफी होगा, एक्जाम के बाद वह कुछ दिन आराम करे, घर से बाहर ना निकले. वैसे उसे आज ही एस. पी. पुलिस से बात करनी होगी, वह अब्बू के दोस्त हैं. अनु और उसके घरवालों की हिफाज़त कर सकते हैं. लौटते वक्त अनु काफी खुश थी. उसका पेपर बहुत अच्छा हुआ था.

0 comments:

Post a Comment