दिल की खिड़की से बाहर देखो ना कभी Posted on April 09, 2017 0 दिल की खिड़की से बाहर देखो ना कभीबारिश की बूँदों सा है एहसास मेराघनी जुल्फों की गिरह खोलो ना कभीबहती हवाओं सा है एहसास मेराछूकर देखो कभी तो मालूम होगा तुम्हेंसर्दियों की धूप सा है एहसास मेरा ।by Rony Chahal Email ThisBlogThis!Share to TwitterShare to Facebook
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