नज़र मुझसे मिलाती हो तो तुम शरमा-सी जाती हो,इसी को प्यार कहते हैं, इसी को प्यार कहते हैं,जबाँ ख़ामोश है लेकिन निग़ाहें बात करती हैं,अदाएँ लाख भी रोको अदाएँ बात करती हैं,नज़र नीची किए दाँतों में दुपट्टे को दबाती हो,इसी को प्यार कहते हैं, इसी को प्यार कहते हैं.
Monday 28 November 2016
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